में लिहाज़ हूँ, अक्सर देर से आया करता हुँ।


ना आया नसीहत का हुनर जिंदगी भर,
जिससे, जैसे मिलता हैं,बताया करता हूँ।
महफिल मेरी कमी जरा और खलेगी अभी,
में लिहाज़ हूँ, अक्सर देर से आया करता हुँ।

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