A tribute to Jaun Elia - खुदरंग शायर जौन ऐलिया
बिखरा बिखरा, बे-परवाह, बे-तरतीब हूँ,
बे-वजह का शायर, बे-सबब का अदीब हूँ |
ग़ज़ल है के मुक़म्मल ही नहीं होती,
अधूरा मिसरा है जिसका में रदीफ़ हूँ |
वो, जो मुझे पसंद है मुझे पसंद करती है,
क़ासिर-ए-मेहसूस हुँ, बड़ा बदनसीब हु |
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