तुम जो इतनी खूबसूरत हो, क्यों हो ?



गुम  हो  जाता हूँ  अक्सर करते हुए काम ,
क़ुसूर  है तुम्हारा,  वजह तुम हो 

आँखें  अपनी बंद करता, खोलता हूँ  कभी ,
शामिल हर एक जगह तुम हो 

दिन  रात होते हैं , ज़िन्दगी में मगर 
मेरी हर शाम ,  हर सेहर तुम हो 

बराअज़मी में है मुल्क़ कितने सारे ,
मेरे दिल का छोटा सा शहर तुम  हो 

हर सवाल  में हैं सवाल बेहिसाब ,
मेरे तमाम सवालों का, जवाब तुम हो 

सपने हज़ारों है  आँखों में मगर, 
मेरे दिन-रात का ख्वाब तुम हो 

फैली हुई बेहयाई ज़माने में  तो क्या ,
मेरे ख्यालो का हिजाब तुम हो 

ढूंढ़ता हूँ चारसू , ज़मीन पर तुम्हें में ,
ग़ाफ़िल हूँ में , कहकशा  तुम हो 

करके सारे पैमाने खाली, देखे बारी 
जिससे आये खुमारी वोह , नशा तुम हो 


बारी  खान 


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